करीमनगर, तेलंगाना | 1942 - 2008
मज़बूत घोड़ों की तरह दौड़ रही हैं जड़ें और सबेरा है हर तरफ़ गोया घने जंगलों का बिंब उभर आया हो आकाश में।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें