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भाषा (कविता) Editior's Choice

भाषा त्वचा बन गई है
स्पर्श चाहती है
भाषा त्वचा है... शब्द उँगलियाँ हैं
आजकल!
तुम्हारी और मेरी अलग-अलग
कोई एलियन भाषाएँ
...छूती हैं शब्दों की उँगलियों से
तुम्हारे शब्दों के पोरों पर
उँगलियाँ उग आई हैं,
मेरी भाषा
कामना के आवेग से
थरथरा रही है।


            

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