देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

बस वही एक है जो अपना सा लगता है (ग़ज़ल) Editior's Choice

बस वही एक है जो अपना सा लगता है,
बाक़ी रिश्तों का रस सपना सा लगता है।

एकाग्र न होता और कहीं मन दुनिया में,
बस बेमन से माला जपना सा लगता है।

तप करें तपस्वी कहे भले दुनिया हमको,
तप उस बिन केवल तन तपना सा लगता है।

हों भाँति-भाँति के व्यंजन चाहे थाली में,
रुचि भोग बिना उसके चखना सा लगता है।

मेहनत करलें चाहे अच्छा परिणाम मिले,
फिर भी मन को केवल खपना सा लगता है।

दो घूँट मिले यदि जल उसके कर से अंचल
कर पात्र हमें पूरा नपना सा लगता है।


  • विषय :
लेखन तिथि : 2022
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा
तक़ती : 22 22 22 22 22 2
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें