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अपने लिए (कविता) Editior's Choice

पहले एक लकीर बनी
फिर रोलर घूमने लगा
याददाश्त के ऊपर।

यंत्रणा का ऐसा स्वरूप
इससे पहले कहाँ था दुनिया में?

सभ्यता का यह अभिनव दंड-विधान
मुबारिक हुआ हमको अपने आप
शरीर के अनुसार सज़ा खोजी हमने
अपने लिए।

अपने लिए बहुत कुछ खोजा हमने
यहाँ तक कि सर्वनाश भी।


            

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