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अंतिम संस्कार (कविता) Editior's Choice

तितली के पंखों पर, फूलों पर, पत्तियों पर,
बारूद के धब्बे हैं
बम गिराए गए थे कल रात ही यहाँ

जंगल की तरफ़ भागते लोगों की लाशों के साथ
पड़ी हैं मृत तितलियाँ, पक्षी और फूल
उन पर धूल जम रही है
और भनभनाती मक्खियाँ हैं आस-पास

अंतिम संस्कार के लिए नहीं है कोई
सिवाय गिद्धों के
और गिद्धों ने शुरू कर दिया है अपना काम।


            

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