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अकेले पेड़ों का तूफ़ान (कविता) Editior's Choice

फिर तेज़ी से तूफ़ान का झोंका आया
और सड़क के किनारे खड़े
सिर्फ़ एक पेड़ को हिला गया
शेष पेड़ गुमसुम देखते रहे
उनमें कोई हरकत नहीं हुई।

जब एक पेड़ झूम-झूम कर निढाल हो गया
पत्तियाँ गिर गईं।
टहनियाँ टूट गईं
तना ऐंचा हो गया
तब हवा आगे बढ़ी
उसने सड़क के किनारे दूसरे पेड़ को हिलाया
शेष पेड़ गुमसुम देखते रहे
उनमें कोई हरकत नहीं हुई।

इस नगर में
लोग या तो पागलों की तरह
उत्तेजित होते हैं
या दुबक कर गुमसुम हो जाते हैं।
जब वे गुमसुम होते हैं
तब अकेले होते हैं
लेकिन जब उत्तेजित होते हैं
तब और भी अकेले हो जाते हैं।


            

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