अहसास (कविता)

जब से तू आया है मेरी ज़िंदगी में,
ज़िंदगी में अहसासों को
आगे बढ़ाया तुमने।
अहसास हुआ ज़िम्मेदारी का,
बिन डोर उड़ रही थी
यह ज़िंदगी की पतंग,
तूने आकर इसे आसमान दिया,
एक नए रिश्ते का नाम दिया मुझे।
अहसास दिलाया मुझे
जो अहसास हर औरत चाहती है,
मेरी अधूरी ज़िंदगी को पूरा किया तूने।
जब तुझे देखा भी नहीं था
तब भी तुझे महसूस करती थी मैं,
जब तुझे जाना भी नहीं था
तब भी तेरे अच्छे बुरे का
ख़्याल रखती थी मैं।
तेरी पसंद नापसंद को
तुझे पाने से पहले जान चुकी थी मैं,
तुझे अपनी जान से भी ज़्यादा
अपने अंदर समेट रखा था।
वात्सल्य सुख का अनुभव कर रही थी,
तेरी धड़कनों को महसूस करती थी मैं।
मेरी साँसों को मैंने
तेरी साँसों के साथ मिला लिया था,
मैं घबरा जाती थी तेरी
हल्की सी आहट से,
मुझे लगता तू मेरे अंदर
भगवान के आशीर्वाद की तरह है।
जब मैंने तुझे आशीर्वाद के रूप में
स्पर्श किया,
मुझे दुनिया का हर दर्द भरा
स्पर्श भूल गया।
मेरे हाथों में जब तू आया,
मैं क्या महसूस कर रही थी
मेरे लिए शब्दों में
बयान करना नामुमकिन है।
मुझे अपने ऊपर बहुत गर्व हो रहा था,
मैं अपने आप को बहुत
बड़ा महसूस कर रही थी,
मैं एक-एक पल बस
तुझे ही देखना चाह रही थी,
एक पल भी पलकों को
नहीं झपकना चाहती थी।
तुझे देखने का सुख भरा अहसास,
मैं पल भर भी खोना नहीं चाहती थी।
बेहद थकान, तेरी छोटी सी मुस्कुराहट
से मेरे अंदर ताज़गी भर देती,
तेरी हर छोटी सी तकलीफ़
मुझे रुला देती,
तेरे चेहरे पर आई कोई भी परेशानी
मेरे चेहरे पर झलक जाती है।
तुझे रोता देखना मुझे तड़पा जाता,
मेरा मन तब तक तड़पता
जब तक तेरी ख़ुशी को तुझे देकर
मैं तुझे ख़ुश होता हुआ देखना लूँ।
मैं तुझे दुनिया की उस मुक़ाम पर देखना चाहती हूँ,
जहाँ पर लोग तुझे आशीर्वाद दे,
तुझे प्यार और सम्मान दें।


लेखन तिथि : जुलाई, 2021
यह पृष्ठ 33 बार देखा गया है
×

अगली रचना

विश्वास


पीछे रचना नहीं है
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें