अगर तुम यहाँ पर होते
मेरे बेटे, तो मैं तुम्हें ज़रूर दिखाता
ये ख़ूबसूरत चिड़िया
काले शरीर और सफ़ेद पंखों वाली
जो इस गहरी काली रात से
मशक़्क़त के बाद निकली
थकी-माँदी सुबह की दहलीज़ पर
आकर बैठ गई है, उसी लोहे की
छड़ पर, जिसे तुम कभी-कभी
अपना क़द ऊँचा करने के लिए
पकड़कर झूलते थे
यह सफ़ेद डैनोंवाली चिड़िया
पूरी पृथ्वी को और क़द्दावर करती
दस्तक देती है इस सुबह पर
मैं तुम्हारा पिता कभी अपनी
आपबीती से डरा, कभी ज़माने से
अपनी तमाम सुबहों को न्यौछावर करना चाहता हूँ
इस बारिश भीगी धरती के ख़ातिर
तुम्हारे क़द्दावर होने की ख़ातिर
सफ़ेद डैनों की परवाज़ की ख़ातिर।
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