अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला,
हम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला।
एक बे-चेहरा सी उम्मीद है चेहरा चेहरा,
जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला।
उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मा'लूम न था,
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला।
दूर के चाँद को ढूँडो न किसी आँचल में,
ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला।
इक मुसाफ़िर के सफ़र जैसी है सब की दुनिया,
कोई जल्दी में कोई देर से जाने वाला।
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