देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

आत्मा की मिट्टी (कविता) Editior's Choice

मेरी आत्मा
कुछ अलग क़िस्म की मिट्टी से बनाई गई

एक बेचैन और शांत दहकता हुआ चूल्हा
जिसने चारों पहर और सातों मास अपनी छाती में जिलाए रखी ज़रूरी आग

मिट्टी का एक ऐसा चूल्हा
जो सदियों से भूखे मनुष्यों के लिए
सदियों तक भोजन पकाने में
ख़ुद को तपाता रहा चुपचाप

मेरी आत्मा
उसी बेचैन मगर शांत दहकते हुए चूल्हे की मिट्टी से बनाई गई।


रचनाकार : विहाग वैभव
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें