मेरी आत्मा
कुछ अलग क़िस्म की मिट्टी से बनाई गई
एक बेचैन और शांत दहकता हुआ चूल्हा
जिसने चारों पहर और सातों मास अपनी छाती में जिलाए रखी ज़रूरी आग
मिट्टी का एक ऐसा चूल्हा
जो सदियों से भूखे मनुष्यों के लिए
सदियों तक भोजन पकाने में
ख़ुद को तपाता रहा चुपचाप
मेरी आत्मा
उसी बेचैन मगर शांत दहकते हुए चूल्हे की मिट्टी से बनाई गई।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें