देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

आज मैं अकेला हूँ (कविता) Editior's Choice


आज मैं अकेला हूँ
अकेले रहा नहीं जाता।


जीवन मिला है यह 
रतन मिला है यह
धूल में 
कि 
फूल में
मिला है
तो
मिला है यह
मोल-तोल इस का
अकेले कहा नहीं जाता।


सुख आए दुख आए
दिन आए रात आए
फूल में
कि 
धूल में
आए 
जैसे 
जब आए
सुख दुख एक भी 
अकेले सहा नहीं जाता।


चरण है चलता हूँ
चलता हूँ चलता हूँ 
फूल में 
कि 
धूल में
चलाता 
मन 
चलता हूँ
ओखी धार दिन की
अकेले बहा नहीं जाता।


रचनाकार : त्रिलोचन
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें