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हरिगीतिका छंद
माँ कात्यायनी वन्दना
अभिनव मिश्र 'अदम्य'
हे! मात! नत मस्तक नमन नित, वन्दना कात्यायनी। अवसाद सारे नष्ट कर हे, मात! मोक्ष प्रदायनी। हे! सौम्य रूपा चन्द्र वदनी,
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