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घनाक्षरी छंद

ज्ञान दीन
महेश कुमार हरियाणवी
उसे घर से निकाला घर जिसने संभाला। पढ़े-लिखे बगुलों का काला किरदार है। माया जिन पे चढ़ादी देह अपनी लुटादी। बोलियाँ
नमन
महेश कुमार हरियाणवी
खगोलीय जहान हो, या गूँजता विमान हो, अपने तिरंगे का तो, अलग मक़ाम है। तकनीक का है जोर, चमके हैं चारों ओर, पैर धरती पे म्
हिंदी भाषा
रविंद्र दुबे 'बाबू'
हिन्दी भाषा जानो! हिन्द जो है मेरा अभिमान, मातृभू की वंदनीय, भाषा सुखदायी है। सरल सहज तान, स्वर लय माला गीत, पहचान
गणपति विनायक
रविंद्र दुबे 'बाबू'
स्वामी मंगलकरता, गजकाय विनायक। ऋद्धि सिद्धि हरषित, मोह दिखावत है॥ तिरलोकी शिवसुत, भव कलुष नाशक। गौरी तनय गणेशा,
गोस्वामी तुलसीदास
रविंद्र दुबे 'बाबू'
श्रवन दिवस भव, भगत सफल जग। मंगल भवन कह, जनकवि नरहरि।। पवन लहर चल, पुलकित तन मन। हरि कवि प्रेम वस, विषधर चढ धरि।। प्र
हरि
रविंद्र दुबे 'बाबू'
कमल नयन पट, नमन सकल जर, खलल जगत जब, हरि उठ छल धर। तप जप वश कर, बम शिव धर वर, मटक कमर तब, भसम करत खर। क़हर परशुधर, बरसत डटकर
गुरु महिमा
रविंद्र दुबे 'बाबू'
गुरु ज्ञान का अमृत, जिसका न कभी अंत। अज्ञानता गुरुवर, करते हरण-हरण॥ दीप ज्ञान का जलाए, अंधकार को मिटाए। नमन वंदन गु
शशिधर बम बम
रविंद्र दुबे 'बाबू'
तिलक विजय सज गंग लट जट सट। हर हर सब पर बम बम बम बम॥ कंठ पर विषधर विष पिय जमकर। बम बम बम बम हर हर बम बम॥ सरपट करतल अप

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