पद्य
कविता
गीत
नवगीत
लोकगीत
ग़ज़ल
सजल
नज़्म
मुक्तक
रुबाई
हाइकु
क्षणिका
छंद
दोहा छंद
चौपाई छंद
कुण्डलिया छंद
गीतिका छंद
सवैया छंद
पंचचामर छंद
घनाक्षरी छंद
हरिगीतिका छंद
त्रिभंगी छंद
सरसी छंद
चर्चरी छंद
तपी छंद
शृंगार छंद
लावणी छंद
विजात छंद
रोला छंद
ताटंक छंद
विधाता छंद
आल्हा छंद
तोटक छंद
सायली छंद
गद्य
कहानी
लघुकथा
लेख
आलेख
निबंध
संस्मरण
देशभक्ति
/
सुविचार
/
प्रेम
/
प्रेरक
/
माँ
/
स्त्री
/
जीवन
कुण्डलिया छंद
नवरात्रि
सुशील कुमार
माता दुर्गा का लगे, तीजा रूप महान। अर्धचंद्र है भाल पर, चंद्रघंटा सुजान॥ चंद्रघंटा सुजान, भुजा दस सोहे माँ के। मि
अमर हुए जाँबाज़
डॉ॰ ममता बनर्जी 'मंजरी'
सुकुमा की धरती हुई, आज रक्त से लाल। परिजन सारे रो रहे, होकर के बेहाल॥ होकर के बेहाल, तड़पते घायल सैनिक। ज़ालिम चलते
नवरात्रि महापर्व
शमा परवीन
मनभावन पावन लगा, नवरात्रि महा पर्व। करते आएँ हैं सदा, हम सब इस पर गर्व॥ हम सब इस पर गर्व, चेतना नई जगाएँ। रख कर नौ उपव
मित्रता
प्रवीन 'पथिक'
जीवन में ग़म बहुत है, लेकिन है इक बात। सारे ग़म कट जाते हैं, यदि हो मित्र का साथ। यदि हो मित्र का साथ, सुख दुःख में काम
और देखे..
रचनाएँ खोजें
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें
हटाएँ
खोजें