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क्षणिका

न्यायालय की नौकरी
अविनाश ब्यौहार
न्यायालय की नौकरी करके पड़ गए हम झूठे से! मानो बाँध दिया हो कसाई के खूँटे से!!
गौं
अविनाश ब्यौहार
हमनें सोचा था निकलेगा गौं! लेकिन बोया गेहूँ उपजा जौ!!
खोज
अविनाश ब्यौहार
हमारा देश समस्याओं का देश है और मैने नई समस्या खोजी है! यह हमारे लिए फ़ीरोज़ी है!!
सरकारी काम
अविनाश ब्यौहार
देश में बदकारी देखकर उनकी आँख हो गई सजल! वे सरकारी काम सरकारी तौर पर कर देते हैं ये है उनका फ़ज़ल!!
शासन व्यवस्था
अविनाश ब्यौहार
कर्मचारी मंडल आचरण से कृष्ण नहीं कंस हो गया है! इसीलिए बदशऊर शासन व्यवस्था का भ्रंश हो गया है!!
नकेल
अविनाश ब्यौहार
रोज़-ब-रोज़ हम बदअमली रहे हैं झेल! रफ़्ता-रफ़्ता कोई भ्रष्टाचार पर डाले नकेल!!
खेल
अविनाश ब्यौहार
अलादीन भ्रष्टाचार को समझता रहा खेल! वह तब अवाक् रह गया जब रिश्वत के आगे उसका चिराग़ हो गया फ़ेल!!
जमादार भाया
अविनाश ब्यौहार
वे उलटे छुरे से मूंड़ते हैं क्योंकि उनके रोम-रोम में भ्रष्टाचार है समाया! इसीलिए ऐसे व्यक्ति को कहेंगे बेकारी
गृहस्थी
अविनाश ब्यौहार
एक महिला अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारी पर अकड़ी! तो उसने सीधा सा उत्तर दिया- मैडम! मुझे तो याद है केवल नून-तेल-लकड
छुरी
अविनाश ब्यौहार
नेता जी सफ़ेदपोश हैं! कालेधन के कोश हैं!! उनकी नियत बुरी है! देश के लिए मीठी छुरी है!!
पगड़ी
अविनाश ब्यौहार
उपदा रसवंत नार सी तगड़ी है! दयानत फ़ज़ीलत की पगड़ी है!!
प्याज और लहसुन
अविनाश ब्यौहार
सरकार नें खींचा अर्थव्यवस्था का कैसा ख़ाका। प्याज और लहसुन ने डाला जनता की जेब में डाका।।

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