यूँही उदास है दिल बे-क़रार थोड़ी है
मुझे किसी का कोई इंतिज़ार थोड़ी है
नज़र मिला के भी तुम से गिला करूँ कैसे
तुम्हारे दिल पे मिरा इख़्तियार थोड़ी है
मुझे भी नींद न आए उसे भी चैन न हो
हमारे बीच भला इतना प्यार थोड़ी है
ख़िज़ाँ ही ढूँढती रहती है दर-ब-दर मुझ को
मिरी तलाश में पागल बहार थोड़ी है
न जाने कौन यहाँ साँप बन के डस जाए
यहाँ किसी का कोई ए'तिबार थोड़ी है
अगली रचना
सहमा सहमा हर इक चेहरा मंज़र मंज़र ख़ून में तरपिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें