ले गए तुम कई बार साथ में
हमें अपनी यात्राओं पर
चित्रकूट, वृंदावन, सौराष्ट्री सागर-तट
या कहीं और भी,
पर यह कौन-सी यात्रा है
यायावर!
जहाँ तुमने
अकेले ही असंग जाने का निर्णय लिया,
और चल भी दिए?
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है।
आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।