यार पुराने छूट गए तो छूट गए (ग़ज़ल)

यार पुराने छूट गए तो छूट गए
काँच के बर्तन टूट गए तो टूट गए

सोच समझ कर होंट हिलाने पड़ते हैं
तीर कमाँ से छूट गए तो छूट गए

शहज़ादे के खेल खिलोने थोड़े ही थे
मेरे सपने टूट गए तो टूट गए

इस बस्ती में कौन किसी का दुख रोए
भाग किसी के फूट गए तो फूट गए

छोड़ो रोना धोना रिश्ते नातों पर
कच्चे धागे टूट गए तो टूट गए

अब के बिछड़े तो मर जाएँगे 'परवाज़'
हाथ अगर अब छूट गए तो छूट गए


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यूँही उदास है दिल बे-क़रार थोड़ी है


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