साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
फ़तेहपुर, उत्तर प्रदेश
1906 - 1988
वंदना के इन स्वरों में, एक स्वर मेरा मिला लो। वंदिनी माँ को न भूलो, राग में जब मत्त झूलो, अर्चना के रत्नकण में, एक कण मेरा मिला लो। जब हृदय का तार बोले, शृंखला के बंद खोले, हों जहाँ बलि शीश अगणित, एक सिर मेरा मिला लो।
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