साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश
1919 - 2000
उठाए जा उन के सितम और जिए जा, यूँ ही मुस्कुराए जा आँसू पिए जा। यही है मोहब्बत का दस्तूर ऐ दिल, वो ग़म दे तुझे तू दुआएँ दिए जा। कभी वो नज़र जो समाई थी दिल में, उसी इक नज़र का सहारा लिए जा। सताए ज़माना सितम ढाए दुनिया, मगर तू किसी की तमन्ना किए जा।
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