उपहार (कविता)

हमें जो मिला है
ये मानव शरीर
इस पर गर्व कीजिए,
इसे ईश्वर से मिला
ख़ूबसूरत उपहार समझिए।
उपहार मिलने पर
जैसे हम नाचते गाते हैं
फिर संसार के
इस सबसे बड़े उपहार का
उल्लास मनाने में
भला क्यों शरमाते हैं?
चार दिन की ज़िंदगी का
खुलकर आनंद उठाइए
हँसते नाचते गाते हुए
ज़िंदगी का उत्सव मनाइए,
संसार उत्सवों से भरा पड़ा है
यही सबको समझाइए।
हर किसी को ये बात
खुलकर समझाइए,
जीवन उत्सव मनाइये
ख़ुश रहिए ख़ुशियाँ बाँटिए
हँसते, नाचते, गाते रहिए
ख़ुशियों के साथ उल्लासित
जीवन बिताइए।


लेखन तिथि : मार्च, 2021
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