साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
हापुड़, उत्तर प्रदेश
1970
उन की ख़ैर-ओ-ख़बर नहीं मिलती हम को ही ख़ास कर नहीं मिलती शाइ'री को नज़र नहीं मिलती मुझ को तू ही अगर नहीं मिलती रूह में दिल में जिस्म में दुनिया ढूँढता हूँ मगर नहीं मिलती लोग कहते हैं रूह बिकती है मैं जिधर हूँ उधर नहीं मिलती
अगली रचना
पिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें