त्यौहारों का मौसम (कविता)

त्यौहारों का मौसम आया
सबकी व्यस्तता बढ़ाया,
अभी करवा चौथ बीता है,
अब धनतेरस, जमघंट के बाद
दीवाली की तैयारी है,
भैय्या दूज, चित्रगुप्त पूजन की भी
तो अपनी बारी है
फिर छट्ठ की भी तैयारी है,
बड़ी मारा मारी है।
घर, मकान, दुकान, प्रतिष्ठान की
सफ़ाई चल रही है,
हर परिवार में रोज़
बजट बन रहे हैं,
बच्चे तो ख़ूब चहक रहे हैं
माँ बाप परेशान हैं
महँगाई से हलकान हैं
ऊपर से कोरोना
अकड़ दिखा रहा है
काम धंधे, रोज़गार में
व्यवधान बन रहा है
पर क्या कर सकते हैं?
त्यौहार मनाने के बिना
रह भी तो नहीं सकते,
क्योंकि त्यौहार तो मनाना है
उल्लास के भाव तो जगाना है।
मन के संताप मिटाना तो है
दुःख दर्द, पीड़ा, अभावों से
थोड़ा ही सही
अपने को बचाना ही है,
उत्साह उल्लास दिखाना ही है।
क्योंकि
त्यौहारों का मौसम आया
ख़ुशियों का संसार लाया।


लेखन तिथि : 7 नवम्बर, 2020
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