साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
हरदोई, उत्तर प्रदेश
1997
तुम्हारी नहीं पर जवानी लिखी है, इबारत किसी की पुरानी लिखी है। मेरी डायरी में नहीं शायरी तो, तुम्हारी ही कोई निशानी लिखी है। नयन की नदी जो कहीं खो गई है, नहीं उसकी मैंने रवानी लिखी है। मेरे सच को भी तुम नहीं मानते हो, मगर उसकी झूठी कहानी लिखी है। गुज़ारी नहीं जा सकी थी जो हमसे, वही रात हमने सुहानी लिखी है।
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