तुम बिन जीवन कहाँ मिलेगा (ग़ज़ल)

तुम बिन जीवन कहाँ मिलेगा,
गुलशन सा मन कहाँ मिलेगा।

पल में राज़ी फिर नाराज़ी,
यह परिवर्तन कहाँ मिलेगा।

यौवन के दिल मे ज़िद करता,
भोला बचपन कहाँ मिलेगा।

हँसकर दुख को गले लगा ले,
वह पगलापन कहाँ मिलेगा।

मोती सम झरते शब्दों का,
अनुपम सावन कहाँ मिलेगा।

मुश्किल जिससे डरती ऐसा,
अद्भुत चिंतन कहाँ मिलेगा।

अपनापन सिखलाने वाला,
अपनापन फिर कहाँ मिलेगा।

ज़रा ग़ौर से सोचो 'अंचल'
फिर ऐसा धन कहाँ मिलेगा।


लेखन तिथि : 3 जुलाई, 2021
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