तुझे पुकारा है बे-इरादा (ग़ज़ल)

तुझे पुकारा है बे-इरादा
जो दिल दुखा है बहुत ज़ियादा

नदीम हो तेरा हर्फ़-ए-शीरीं
तो रंग पर आए रंग-ए-बादा

अता करो इक अदा-ए-दैरीं
तो अश्क से तर करें लिबादा

न जाने किस दिन से मुंतज़िर है
दिल-ए-सर-ए-रह-गुज़र फ़ितादा

कि एक दिन फिर नज़र में आए
वो बाम-ए-रौशन वो दर कुशादा

वो आए पुर्सिश को फिर सजाए
क़बा-ए-रंगीं अदा-ए-सादा


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