साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बहराइच, उत्तर प्रदेश
1992
तू तो सब समझता है ऐ मेरे मौला, दिल नही मानता है ऐ मेरे मौला। आती है याद दोस्ती हमे यूँ ही, मन मेरा हारता है ऐ मेरे मौला। गिर गया है वो मेरी नज़र मे कब का, उससे क्यों वास्ता है ऐ मेरे मौला। उसको उसकी तरह ही कोई मिले, दिल यही चाहता है ऐ मेरे मौला। प्यार ने कह दिया ज़माने से आज, अब नही राबता है ऐ मेरे मौला।
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