अंदाज़ हमारा तीखा है,
तूफ़ानों से लड़ना सीखा है।
मेरा देश ज्वलंत रंग है,
इसके आगे हर रंग फीका है।
घर बैठा दुश्मन भी मेहमाँ,
ये हमारा सलीक़ा है।
काँप उठता है दुश्मन,
जब जब हिन्दुस्ताँ चीखा है।
युद्ध मैदान हो या खेल मैदान,
यहाँ हर मैदान सरीखा है।
जज़्बा देख मैदान में,
हर प्रतिद्वन्दी छींका है।
विश्व पटल पर हर क्षेत्र में,
हमनें इतिहास लिखा है।
सरपट दौड़ लगाता,
जैसे राणा प्रताप का कीका है।
अंदाज़ हमारा तीखा है,
तूफ़ानों से लड़ना सीखा है।
मेरा देश ज्वलंत रंग है,
इसके आगे हर रंग फीका है।
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