तिरंगे की आवाज़ (कविता)

हमारा तिरंगा कह रहा, मैं भारत की शान हूँ,
देश के वीर सपूतों का, मैं एक अनूठा आन हूँ।
देश के शहीदों का, मैं एक ज़िन्दा मिसाल हूँ,
भारत की प्रगति का, मैं सतत लहराता संकेत हूँ।।

भारत की आज़ादी का, मैं 'तिरंगा' ही प्रतीक बना‌ था,
वीरों ने आज़ादी का बिगुल, मुझे थाम कर फूँका था।
शहीदों ने गिरा गोली खाकर, पर मुझे न गिरने दिया था,
दुश्मनों के हार का बोध, मैं लहरा कर करवाया था।।

तिरंगा अपने तीनों रंगों से, हमेशा ये पैग़ाम दे रहा,
हरा रंग हमें, विकसित देश बनाने का याद दिला रहा।
उजला रंग संसार को, अहिंसा‌ अपनाने को कह रहा,
केसरिया रंग, अनेकता में एकता का बोध करा रहा।।

लहराता तिरंगा हमें, हमेशा गतिशील रहने को कह रहा,
संसार के प्रतिद्वंद्वियों से, हमेशा आगे बढ़ने को कह रहा।
आए हर विपत्तियों को, स्फूर्ति से निपटाने को कह रहा,
चुनौतियों कैसी भी हो, डटकर सामना करने को कह रहा।।

स्वतंत्रता दिवस पर, तिरंगा का भी दिल ख़ूब खिल रहा,
आधुनिक भारत को देख, तिरंगा भी आसमान को छू रहा।
बहादुर सेनानियों को देख, तिरंगा भी फ़ख़्र से इठला रहा,
बढ़ते नई भारत को देख, तिरंगा भी गौरवान्वित हो रहा।।


लेखन तिथि : 12 अगस्त, 2021
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