तिरंगा (कविता)

तिरंगा है हमारी जान,
कहलाता देश की शान।
तीन रंगों से बना तिरंगा,
बढ़ता हम सब की मान।।

केसरिया रंग साहस देता,
श्वेत रंग शांति दिखलाता।
हरा रंग विकास को बता,
तिरंगा बहुत कुछ बताता।।

तिरंगे मध्य में अशोक चक्र,
निरंतर हमें बढ़ने को कहता।
राजपथ और लाल किले पर,
तिरंगा देश की शान बढ़ाता।।

तिरंगा है देश की पहचान,
रखेंगे हम सब इसका मान।
तिरंगे की रक्षा के ख़ातिर,
कर देंगे अपने प्राण क़ुर्बान।।

आओ आज हमसब मिलकर,
जन गण मन राष्ट्र गान गाएँ।
जाति-धर्म का भेद मिटाकर,
अपने देश का हम मान बढ़ाएँ।।


रचनाकार : अंकुर सिंह
लेखन तिथि : जनवरी, 2021
यह पृष्ठ 84 बार देखा गया है
×

अगली रचना

वापस आ जाना


पिछली रचना

ख़ुद से ना दूर करो
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें