ठंड में आई है मुझको याद स्वेटर की,
जिसके बिना हमारी ठंड नही रुकती।
इसमें हमारी माँ का प्यार, आशीर्वाद,
जिसके बिन हमारी सर्दी नही कटती।।
इस मौसम ने बदल लिया है मिज़ाज,
हमनें निकाली अपनी स्वेटर ये आज।
इस ठंडी से हमें यह स्वेटर ही बचाती,
यह जान से प्यारी अनेंक इसके राज़।।
मुलायम ऊन की यह स्वेटर है हमारी,
बहुत ही निराली और है प्यारी-प्यारी।
पिरोकर सलाइयों से बनाया जिसको,
वो मम्मी थी हमारी ऐसी प्यारी-प्यारी।।
यह है निशानी मेरी माताजी की ऐसी,
इस ठंडी में जिसकी क़द्र बहुत होती।
अकेलेपन का एहसास हमें है कराती,
सर्दी में मुझको यह बहुत रास आती।।
इसके रोम-रोम में हमको माँ दिखती,
डिज़ाइन सोचती एवं बुनती ही रहती।
गर्म ऊन से ऐसे सजाकर उसे बनाया,
अपनेपन का यह अहसास है कराती।।

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