तीज का त्यौहार (कविता)

शिव गौरा का मिलन पुनः,
पावन प्रेम का द्वार है।
छम-छम-छम मेघ पुकारे,
ये तीज का त्यौहार है।

ऊँचे-ऊँचे झूलों पर,
झूली लचकतीं डाल हैं।
बस्ती में बस्ती देखो,
चारो तरफ हरियाल हैं।

देख जिसे मन हर्षाया,
घर घेवर की बहार है।
छम-छम-छम मेघ पुकारे,
ये तीज का त्यौहार है।

डर मत बहना सपनों में,
मामा भाई अपनों में।
मिलने को घर पे आएँ,
तौल के जाएँ रत्नों में।

आँख खोल के देख भले,
ख़्वाब तेरा साकार है।
छम-छम-छम मेघ पुकारे,
ये तीज का त्यौहार है।

कितने आए और गए,
कितने अभी तैयार है।
क़दम-क़दम पे वार खड़े,
तैर चलीं पतवार हैं।

घुलमिल कर के संग चले,
यही अपना विस्तार हैं।
छम-छम-छम मेघ पुकारे,
ये प्रीत का त्यौहार है।


लेखन तिथि : जुलाई, 2023
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