शिव स्वरूप श्री नीलकंठ (गीत)

दिव्य मनोहर सुन्दर नभचर, शिव दर्शन मनभावन है।
शिवस्वरुप श्री नीलकंठ का, शुभदर्शन अति पावन है॥

रावण वध से पूर्व राम ने, शिवशंकर आह्वान किया।
नीलकंठ बन शिव शम्भू ने, दर्शन दे वरदान दिया॥
श्रीराम और शिवशंकर का, पुनः आज आवाहन है।
शिवस्वरुप श्री नीलकंठ का, शुभदर्शन अति पावन है॥

विजयादशमी पर्व मना था, दशकंधर तब हारा था।
अनीति अधर्म अहंकार को, श्रीराम ने मारा था॥
रामराज्य के स्थापना का, दिवस आज सुहावन है।
शिवस्वरुप श्री नीलकंठ का, शुभदर्शन अति पावन है॥

मंगलकारी शिव दर्शन से, पाप ताप मिट जाते है।
विषपायी प्रभु नीलकंठ, जग का संताप मिटाते हैं॥
श्रीराम शिव के दर्शन से, मन बनता वृन्दावन है।
शिवस्वरुप श्री नीलकंठ का, शुभदर्शन अति पावन है॥


रचनाकार : उमेश यादव
यह पृष्ठ 200 बार देखा गया है
×

अगली रचना

गणपति मंगलकारी


पिछली रचना

पुष्टिकारक बाजरा
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें