जब बनने लगा था यह नगर,
चकित हुई थीं
झील के गर्भ में पलती मछलियाँ।
सड़कों पर उतर आया था
नए वाहनों का शोर
और सबके सपनों का क़ाफ़िला
चल पड़ा था पीछे-पीछे।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है।
आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।