अंततः अब मिलना है उनसे मुझे, आज तक़रीबन शाम को छः बजे,
सोच मन विचलित दिल ये कैसे सहे, तीव्र गति धड़कन शाम को छः बजे।
दृग निहारे अविराम केवल घड़ी, इक घड़ी भी कटना है मुश्किल बड़ी,
मैं तो हूँ अति व्याकुल दरस के लिए, पुष्प सम आनन शाम को छः बजे।
हो न जाए अतिकाल अभिसार में, अननुमत है अतिकाल ये प्यार में,
शीघ्र आएगी प्रीत भी संग ले, ख़ूब वह बन-ठन शाम को छः बजे।
छम छमा छम छम ख़ूब करती हुई, वो हवाओं सी ख़ूब बहती हुई,
आई पैंजनियों की मधुर धुन लिए, छन छना छन छन शाम को छः बजे।
पल मनोहर मेरी प्रिये भी रुचित, कर गई मन मादक हिये भी मुदित,
चाह है बस निस-दिन मुझे चाहिए, चारु यह जीवन शाम को छः बजे।
अगली रचना
उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखतेपिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें