सीमा के पहरुओं (मुक्तक)

1
ओ नेफ़ा के रक्षक जवान,
ओ हिमगिरि पर भारत की शान,
ओ सीमाओं के पहरेदारो,
कर रहा देश तुमको प्रणाम।

2
तुम लिए शस्त्र, पर शांतिदूत,
तुम बढ़े भविष्य पर, भूल भूत,
ओ आज़ादी के रखवालो,
तुम हो भारत के अमर पूत।

3
तुम विजय-कार्य में हुए व्यस्त,
पथ किया सुरक्षा का प्रशस्त,
हर मुश्किल को गले लगानेवालो,
तुम ही तो हो, पन्द्रह अगस्त।


लेखन तिथि : 25 जुलाई, 1963
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