आया बरसात का मौसम झूमले,
बादल आए झूम झूमके और
बादलों को चूमले।
ऋतु बदली गया ज्येष्ठ आषाढ़ साल का
था इंतज़ार माह बदले और
आए सावन झूमके।
आया बरसात का मौसम झूमले...
मिट्टी की वो सौंधी ख़ुशबू याद आई
जब सावन की बरसात आई,
खिल उठते है चेहरे जब
खेतो में हरियाली आए घूमके,
आया बरसात का मौसम झूमले...
सावन की फुहारें बचपन की याद दिलाएँ
काश बाग़ों के वो झूले फिर से झूल जाए,
बीत गई सावन की वो ख़ुशियाँ
वो ख़ुशियाँ फिर से लौट आए।
झमाझम बरसे बारिश के संगीत में,
तन नाच उठा
और सावन के गीत गाए झूमके,
आया बरसात का मौसम झूमले...
काली घटा छाए सावन में
पवन चली पुरवाई
चुपके से कह जाए कानन में,
आने वाली है बरखा
तू नाचले अपने आँगन में।
आया बरसात का मौसम झूमले,
बादल आए झूम झूमके और
बादलों को चूमले।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें