भारत-भूमि पर किया जिसने ऐसा काम,
माता सावित्री बाई फुले आपको प्रणाम।
नारी सशक्तिकरण की तुम बनी मिशाल,
गुरूओं में पूजा जाएगा आपका ये नाम।।
देश की पहली महिला शिक्षिका है आप,
लड़कियाँ भी पढ़ें ऐसे आपके थे ख़्वाब।
रुढ़िवादी सोच के कारण यातनाएँ झेली,
आपकी जयंती पर देश देता श्रद्धांजलि।।
3 जनवरी 1831 में नायगांव की धरती,
एक किसान के घर में जन्मी यह शेरनी।
शुरू से विपत्तियों का सामना करती रही,
उम्र भर संघर्ष करके क्रान्तिज्योति बनी।।
स्त्रियों के अधिकार के लिए लड़ने वाली,
बाल-विवाह भ्रुण-हत्या से बचाने वाली।
अछूतों का सम्मान एवं शिक्षा देने वाली,
"पढ़ें व स्वाभिमानी से जिएँ" कहने वाली।।
किसी का कभी दिल ना दुखाया इन्होंने,
कड़वाहट अपमान ना याद रखा मन में।
रुढ़ी परम्पराएँ तोड़कर आंदोलन किया,
मज़बूत इरादे कर चलती ही गई राह में।।

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