ये कौन उत्सव आया सखी री
मन क्यों कर मुसकाया सखी री
मेघ गरज कर मृदंग बजाते
मधुकर मधुर तान सुनाते
फूल ये क्यूँ सकुचाया सखी री
ये कौन उत्सव...
तरुवर झूम रहे प्रमोद में
वल्लरी कलियाँ सँजोए गोद में
सावन ये मदमाया सखी री
ये कौन उत्सव...
शुभ शकुन की ये रेखाएँ
पलक झपकाती ये उल्काएँ
चंद्रविभोर हो आया सखी री
ये कौन उत्सव...
धरणी ने ली अँगड़ाई
हरिताँचल में कुछ शरमाई
जलद और गहराया सखी री
ये कौन उत्सव...
सुंदर स्निग्ध हुई निशांत
विगत गरजा था अब है शांत
रवि प्राची संग मुस्काया सखी री
ये कौन उत्सव आया सखी री
ये कौन उत्सव आया सखी री

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएप्रबंधन 1I.T. एवं Ond TechSol द्वारा
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें
