रोज़ जोश-ए-जुनूँ आए (ग़ज़ल)

रोज़ जोश-ए-जुनूँ आए,
साथ बख़्त-ए-ज़बूँ आए।

अब भला क्या सुकूँ आए,
हाँ भला अब ये क्यूँ आए।

हाल क्या है कहे क्या अब,
जब कहीं अंदरूँ आए।

हाल फ़र्ज़ी नहीं है कुछ,
ये नज़र जूँ-का-तूँ आए।

'अर्श' जो थी तरब वो ही,
बन के दर्द-ए-दरूँ आए।


लेखन तिथि : 4 जनवरी, 2022
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अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती : 212 212 22
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