साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बेगूसराय, बिहार
1983
सोया नही हूँ दोस्तों के लिए, कुछ लिखता हूँ, दोस्तों के लिए। यूँ तो ग़मज़दा है ज़िंदगी, पर रोया नही हूँ दोस्तों के लिए। ये शोहरत दौलत है किस के लिए, ज़िंदगी को बस जीने के लिए। रंगीन बन जाएगी यह ज़िंदगी, यदि दोस्त मिल जाए जीने के लिए। हम जीते हैं किस के लिए, हम मरते हैं किस के लिए। जीवन मधुर हो जाएगा, दो पल जी लो दोस्ती के लिए।
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