साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
गुना, मध्य प्रदेश
1962
रंग इस मौसम में भरना चाहिए, सोचती हूँ प्यार करना चाहिए। ज़िंदगी को ज़िंदगी के वास्ते, रोज़ जीना रोज़ मरना चाहिए। दोस्ती से तजरबा ये हो गया, दुश्मनों से प्यार करना चाहिए। प्यार का इक़रार दिल में हो मगर, कोई पूछे तो मुकरना चाहिए।
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