कहने को तो रक्षा बंधन भाई बहन के स्नेह का त्यौहार है पर अध्यात्म रूप से देखें तो इस त्यौहार के दिन हम परमात्मा से उमंग, उत्साह, ख़ुशी, प्रगति, शान्ति और दीर्घायु की कामना करते हैं। आजकल तो पर्यावरण की रक्षा हेतु पेड़ों को राखी बाँध कर पेड़ों की रक्षा करने का प्रण लेने की परंपरा भी शुरू हो चुकी है। यह अपने आप में एक सुखद पहल है। आपसी प्रेम, भाईचारे और सामाजिकता को अक्षुण्ण रखने का संदेश देने वाला यह पर्व अपने आप में अलग ही महत्व रखता है। नारी सम्मान की रक्षा के लिए भी यह पर्व मनाया जाता है। समय के साथ साथ समाज में नारी के परिदृश्य में लोगों की धारणाएँ भी सकारात्मक हुई है। नारी का स्थान भारत में पहले भी पूजनीय था। लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा, काली यह सारे रूप नारी के ही है। एक पुरुष का नारी के प्रति सम्मान और सदभाव का पर्व है रक्षाबंधन। इस त्यौहार को हम किसी भाषा या धर्म के बंधन में नही बाँध सकते। यह तो धागा है प्रीत का, सम्मान का, सुरक्षा का, हौसलों का जो किसी भी भाषा या धर्म के बंधन से मुक्त है।
आइए आज इस रक्षाबंधन पर हम मिलकर एक प्रण लें:
"करें मिलकर एक दूसरे की रक्षा,
हर दिन का पर्व हो यह रक्षाबंधन।
बंधा न रहे किसी भाषा या धर्म से,
सबका संकल्प हो यह रक्षाबंधन"।
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