रैदास प्रेम नहिं छिप सकई (दोहा छंद)

रैदास प्रेम नहिं छिप सकई, लाख छिपाए कोय।।
प्रेम न मुख खोलै कभऊँ, नैन देत हैं रोय।।


रचनाकार : रैदास
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