रास्ते याद नहीं राह-नुमा याद नहीं
अब मुझे कुछ तिरी गलियों के सिवा याद नहीं
फिर ख़यालों में वो बीते हुए सावन आए
लेकिन अब तुझ को पपीहे की सदा याद नहीं
एक वा'दा था जो शीशे की तरह टूट गया
हादिसा कब ये हुआ कैसे हुआ याद नहीं
हम दिया करते थे अग़्यार को ता'ना जिन का
अब तो हम को भी वो आदाब-ए-वफ़ा याद नहीं
वज़्अ'-दारी से है मजबूर मिरा प्यार 'क़तील'
सब पुराने हैं कोई दाग़ नया याद नहीं

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएप्रबंधन 1I.T. एवं Ond TechSol द्वारा
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें
