साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बेगूसराय, बिहार
1983
आज धरा सौंधी हो गई, रिमझिम सी बौछार हो गई। नव अंकुर का जन्म हुआ, प्रेम युगल में संधि हो गई। संग में जो पवन चली, मन में एक हलचल सी मची। मंद-मंद मुस्काते हुए, मेरी प्रियसी मेरी ओर चली। अब बिजली गरज गई, मेरी प्रियतम लिपट गई। ऐसा मधुर मिलन हुआ, पर्वत से सरिता निकल गई।
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