प्रेम में पगी (कविता)

इन दिनों—
च्यूरे के फूल के मकरंद-सी
मिठास है
उसकी बोली में।
पूनम की चाँदनी में
झिलमिलाती झील-सी
चमक है
उसकी आँखों में।
पकने को तैयार
पूलम की लालिमा है
उसके गालों में।
कलड़े-सी चंचलता है
उसकी चाल में

लगता है जैसे
साक्षात बसंत अवतरित हुआ हो
उसके शरीर में।
हो न हो वह
पगी है किसी के
प्रेम में
इन दिनों।


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