साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड
1948 - 2020
वह कोई बहुत बड़ा मीर था जिसने कहा था प्रेम एक भारी पत्थर है कैसे उठेगा तुझ जैसे कमज़ोर से मैने सोचा इसे उठाऊँ टुकड़ों-टुकड़ों में पर तब वह कहाँ होगा प्रेम वह तो होगा एक हत्याकांड।
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