प्रेम (कविता)

वह कोई बहुत बड़ा मीर था
जिसने कहा था प्रेम एक भारी पत्थर है
कैसे उठेगा तुझ जैसे कमज़ोर से

मैने सोचा
इसे उठाऊँ टुकड़ों-टुकड़ों में

पर तब वह कहाँ होगा प्रेम
वह तो होगा एक हत्याकांड।


रचनाकार : मंगलेश डबराल
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