होली खेलें श्याम यमुना जी के तीर,
सखी चल ना सही यमुना जी के तीर।
राधा रानी संग रास रचावें,
गोरे बदन मा रंग लगावें।
सारी गोपियन के जियरा में उठ गई पीर,
सखी चल ना सही...
फुलवन की बगियन मा यौवन जगा है,
सखी तन मा उमंगें है मनवा अधीर,
सखी चल ना सही...
प्रेम के रंग सखी कभी न उतरें,
यमुना जी से भी हैं ये गहरे,
प्यारे मोहन के मैं रँग रँगी रे।
होठन मा हँसी सखी नयनन मा नीर,
सखी चल ना सही...
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें