होली खेलें श्याम यमुना जी के तीर,
सखी चल ना सही यमुना जी के तीर।
राधा रानी संग रास रचावें,
गोरे बदन मा रंग लगावें।
सारी गोपियन के जियरा में उठ गई पीर,
सखी चल ना सही...
फुलवन की बगियन मा यौवन जगा है,
सखी तन मा उमंगें है मनवा अधीर,
सखी चल ना सही...
प्रेम के रंग सखी कभी न उतरें,
यमुना जी से भी हैं ये गहरे,
प्यारे मोहन के मैं रँग रँगी रे।
होठन मा हँसी सखी नयनन मा नीर,
सखी चल ना सही...

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