साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
रायबरेली, उत्तर प्रदेश
1919 - 2005
वृक्ष! पूछूँ किसलिए निःशब्द तुम इतने सटे-से निर्वसन, निश्चेष्ट, गुरु भू-वक्ष से— जैसे कि बर्फ़? बर्फ़! पूछूँ किसलिए निःशब्द तुम इतनी सटी-सी निर्वसन, निश्चेष्ट, दृढ़ गिरि-वक्ष से— जैसे कि चाँद?
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